Brahmayogi Acharya Vinamra

“ विचार, विश्‍वास और विवेक के द्वारा कोई भी ऐसा कार्य नहीं जिसे सिद्ध नहीं किया जा सकता, आवश्यकता है, तो बस प्रबल इच्छाशक्ति की। ”

'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' एक संस्कृति को जीवंत रखने की विचारधारा का संयोजित केन्द्र है। जो अपने नाम को समरसता देता है, जो आधुनिक शिक्षा के साथ पौराणिक शिक्षा को मानव समाज में संचारित करने के लिए प्रतिबद्ध है। जिसके लिए एक विश्‍वस्तरीय विश्‍वविद्यालय के निर्माण की परिकल्पना है। 'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' के संस्थापक आचार्य विनम्र विश्‍वास विगत पच्चीस वर्षों से इस दिशा में कार्य कर रहे हैं, अब इसे एक केन्द्र से संचालित करने की दिशा में प्रयासरत है।

'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' संस्कृत, संस्कृति और संस्कार की विचारधारा से समाहित एक संस्था है, जिसका मूलभूत उद्देश्य मानव समाज का बौद्धिक विकास करना है, तभी एक स्वस्थ एवं सुदृढ मानव समाज की आधारशिला रखी जा सकती है। आचार्य जी ने 'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' को " मिथिलापुरी " ग्राम - भेटुआ, पोस्ट - डोरपुर, जिला - सीतामढी - 843333( बिहार) में केन्द्रित किया है एवं इसे एक नया नाम " मिथिलापुरी " दिया है, जो दो देशों को पुरातन संस्कृति से जोड़ता है, भारत और नेपाल । जिला-सितामढ़ी माता सीताजी की नाम से जानी जाने वाली भूमि है, जिसे किसी पहचान की जरूरत नहीं है। यह भूमि संस्कृत भाषा जो की हमारे देश की प्राचीन एवं सांस्कृतिक भाषा है, जो वेद एवं शास्त्र की भाषा है को पुर्नजीवित कराने के लिए संकल्पित है। यह भूमि विदुषी भारती एवं मंडन मिश्र की भूमि है जिन्होंने परम पूज्यनीय ऋषि श्री शंकराचार्य से शुभ आशीष प्राप्त किया था। अपनी संस्कृति एवं लोकाचार के लिए 'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' का उद्देश्य फिर एक बार इस भूमि को हमारे भारतवर्ष के लिए उसी सांस्कृति अभिव्यक्ति को जीवंत कराना है।

आज विगत तीन वर्षों से सर्वस्व संसार एक वैश्विक महामारी को को झेल रहा है, इस महामारी ने सबको अपने वास्तविक यथास्थिति से पीछे की ओर ला दिया है। आचार्य विनम्र विश्‍वास द्वारा निर्धन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ रहन-सहन की जरूरत को पूरा करने का संकल्पित है, ये कार्य पहले से भी आचार्य जी के द्वारा निरंतर किया जा रहा है किन्तु अब जरूरतमंद के बीच रह कर करेंगे, वो भी प्राचीन शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा को जोड़ कर। इस त्रासदी के बाद बहुत से ऐसे परिवार जो आज परेशानी की जिंदगी जी रहें, आज हालत ऐसे है की उनके पास जीविकापार्जन के लिए उनके पास कोई रोजगार नहीं है। इस परिस्थिति में वो अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दे पा रहे। इस कठिन क्षण में 'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' उनको शिक्षा के साथ रहन-सहन की व्यवस्था कराने को संकल्पित है, जिससे जरूरतमंदो को मुख्य धारा में जोड़ा जा सके।

'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्' के निर्माण के लिए आप सभी के साथ की आवश्यकता है, यह संस्था सिर्फ अपने एक मूलभूत उद्देश्य समाज को संस्कृत, संस्कृति और संस्कार की विचारधारा से समाहित कराना है, जो मानवता को सदैव धरातल पर जीवंत रखें।

“ जहाँ भाव है वहीं भक्ति है और जहाँ भक्ति है वहीं भगवान हैं। ”

"ब्रह्मयोगी" आचार्य विनम्र
(आध्यात्मिक एवं राजनीतिक गुरु)
'प्राच्यम् विश्‍वविद्या पीठम्'

Brahmayogi Acharya Vinamra


प्रमुख भविष्यवाणियाँ एवं कार्य

गुरुवचन